इज़रायल की गुप्त सैन्य ऑपरेशन ‘न्यू ऑर्डर’ ने हिज़्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह को बेरूत में मार गिराया। इस घटना ने न केवल हिज़्बुल्लाह के समर्थकों में उथल-पुथल मचा दी, बल्कि वैश्विक राजनैतिक और सैन्य हलकों में भी भारी चर्चा का विषय बन गई है। इस लेख में हम इस ऑपरेशन की पूरी कहानी, हिज़्बुल्लाह और इज़रायल के बीच का संघर्ष, और इसके परिणामों पर चर्चा करेंगे।
हिज़्बुल्लाह – एक संक्षिप्त परिचय
हिज़्बुल्लाह (अल्लाह की पार्टी) लेबनान स्थित एक शिया मुस्लिम सशस्त्र संगठन और राजनीतिक दल है, जो मुख्यतः इज़रायल के खिलाफ अपने संघर्ष के लिए जाना जाता है। हिज़्बुल्लाह की स्थापना 1982 में हुई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य इज़रायल की सेना को लेबनान से बाहर करना था। इस संगठन को ईरान और सीरिया से भारी समर्थन मिलता है, और यह दक्षिणी लेबनान के कई हिस्सों में अपना वर्चस्व स्थापित कर चुका है।
हसन नसरल्लाह 1992 से हिज़्बुल्लाह के नेता रहे हैं, और उन्होंने संगठन को एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नसरल्लाह की नेतृत्व क्षमता, उनकी प्रखर बयानबाजी और इज़रायल के खिलाफ आक्रामक नीतियों के कारण वह इज़रायल के लिए एक बड़े खतरे के रूप में देखे जाते थे।
इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच का संघर्ष
इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच का संघर्ष दशकों पुराना है। 2006 का लेबनान युद्ध इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच की सबसे बड़ी और खतरनाक लड़ाई थी। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब हिज़्बुल्लाह ने इज़रायल पर हमला किया और कुछ इज़रायली सैनिकों को अगवा कर लिया। इसके जवाब में इज़रायल ने लेबनान पर हमला किया, लेकिन इस युद्ध का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
इसके बाद से ही इज़रायल लगातार हिज़्बुल्लाह को कमजोर करने की कोशिश करता रहा है, जबकि हिज़्बुल्लाह अपने समर्थकों और सहयोगियों के माध्यम से अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ था। नसरल्लाह का नेतृत्व हिज़्बुल्लाह के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, और इसी कारण इज़रायल के लिए नसरल्लाह का सफाया करना सबसे बड़ा लक्ष्य था।
ऑपरेशन ‘न्यू ऑर्डर
इज़रायल का ऑपरेशन ‘न्यू ऑर्डर’ एक अत्यधिक गुप्त और सटीक मिशन था, जिसे कई महीनों की तैयारी और योजना के बाद अंजाम दिया गया। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य हिज़्बुल्लाह की नेतृत्व क्षमता को कमजोर करना और संगठन को बिना नेतृत्व के छोड़ देना था। इस मिशन के तहत इज़रायली खुफिया एजेंसी मोसाद और इज़रायल की स्पेशल फोर्सेज ने संयुक्त रूप से काम किया।
ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले, इज़रायल ने कई महीनों तक नसरल्लाह की गतिविधियों और उसके ठिकानों पर बारीकी से नज़र रखी। मोसाद ने हिज़्बुल्लाह के आंतरिक नेटवर्क में गुप्त सूचनाएँ प्राप्त कीं, जिससे उन्हें नसरल्लाह की सटीक लोकेशन का पता चला।
ऑपरेशन की योजना और कार्यान्वयन
ऑपरेशन ‘न्यू ऑर्डर’ को दो मुख्य चरणों में विभाजित किया गया था। पहला चरण नसरल्लाह की पहचान और लोकेशन की पुष्टि पर केंद्रित था, जबकि दूसरा चरण सटीक हवाई हमले या ग्राउंड ऑपरेशन के माध्यम से उसे खत्म करना था। मोसाद ने अपनी गुप्त एजेंटों को बेरूत में तैनात किया, जिन्होंने नसरल्लाह की सुरक्षा व्यवस्था और गतिविधियों की बारीकी से जानकारी दी।
अंततः, इज़रायली वायु सेना और विशेष सैन्य बलों ने संयुक्त रूप से एक सटीक हवाई हमला किया, जिसमें नसरल्लाह की गाड़ी को निशाना बनाया गया। इस हमले में नसरल्लाह के साथ उनके कई करीबी सहयोगी भी मारे गए। इज़रायल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह हमला पूरी तरह से सटीक था और नसरल्लाह को खत्म करने का मुख्य लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
नसरल्लाह की मौत का प्रभाव
नसरल्लाह की मौत का असर न केवल हिज़्बुल्लाह पर, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व पर पड़ने वाला है। हिज़्बुल्लाह के लिए नसरल्लाह का नेतृत्व बेहद महत्वपूर्ण था, और उनके जाने से संगठन की एकजुटता और उसकी राजनीतिक-सामाजिक पकड़ कमजोर हो सकती है। संगठन के लिए अब एक नया नेता खोजना और उसे स्थापित करना एक बड़ी चुनौती होगी।
मध्य-पूर्व में हिज़्बुल्लाह के समर्थक देशों, जैसे कि ईरान और सीरिया, के लिए भी यह एक बड़ा झटका है। ईरान हिज़्बुल्लाह का प्रमुख सहयोगी है, और वह हमेशा से ही इज़रायल के खिलाफ अपने क्षेत्रीय सहयोगियों का समर्थन करता रहा है। नसरल्लाह की मौत ईरान और उसके समर्थकों के लिए एक बड़ा धक्का है, और इससे इज़रायल-ईरान के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
नसरल्लाह की मौत के बाद, हिज़्बुल्लाह के समर्थकों में गुस्सा और आक्रोश है। संगठन ने इज़रायल से बदला लेने की धमकी दी है, और संभावना है कि आने वाले दिनों में दोनों पक्षों के बीच तनाव और बढ़ सकता है। हालांकि, इज़रायल ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने दुश्मनों को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
इज़रायल की इस बड़ी जीत के बाद भी, हिज़्बुल्लाह के साथ संघर्ष का अंत नहीं हुआ है। आने वाले समय में दोनों पक्षों के बीच और हिंसा बढ़ने की संभावना है, और इससे मध्य-पूर्व में स्थिरता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
इज़रायल का ऑपरेशन ‘न्यू ऑर्डर’ न केवल उसकी खुफिया और सैन्य शक्ति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक राष्ट्र अपने दुश्मनों को कमजोर करने के लिए रणनीतिक और सटीक कदम उठाता है। हिज़्बुल्लाह के लिए नसरल्लाह की मौत एक बड़ा नुकसान है, और इसका असर न केवल संगठन पर, बल्कि पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा। इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच का यह संघर्ष अभी समाप्त नहीं हुआ है, और आने वाले दिनों में इसके और तीव्र होने की संभावना है।