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बीजेपी ने तैयार की खास प्लान, अखिलेश का टूटेगा चक्रव्यूह !

यूपी में विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान हो चुका है. लेकिन चुनाव से ठीक पहले नेताओं का दल बदल का दौर लगातार जारी है…. प्रदेश में ओबीसी नेता जिस तरह से लगातार बीजेपी छोड़ रहे हैं. उससे पार्टी की चिंताएं बढ़ गई हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी का मंत्री पद से इस्तीफा और आधा दर्जन ओबीसी विधायकों के छोड़ने से माहौल बीजेपी के खिलाफ बन रहा है. लेकिन इस बीच बीजेपी इस माहौल को तोड़ने के लिए खास प्लान बनाया है. बीजेपी अपने दोनों सहयोगी दल के ओबीसी चेहरे के साथ-साथ दलित नेताओं को आगे कर पहले सपा के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने और फिर उसके बाद आक्रमक तरीके से हिंदुत्व को धार देने की रणनीति बनाई है.

यूपी में मची ओबीसी नेताओं की भगदड़ से बन रहे सियासी माहौल को तोड़ने के लिए बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी नेता के तौर पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, अपना दल (एस) की अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद जैसे नेताओं को आगे करके मैदान में मोर्चा संभालने की रणनीति बनाई है. दिल्ली में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक के बाद केशव प्रसाद मौर्य ही पत्रकारों को संबोधित करने के लिए आगे आए थे.

 दरअसल, बीजेपी केशव प्रसाद मौर्य को अब मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित कर सकती, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पहले ही योगी आदित्यनाथ का नाम ले चुके हैं. योगी के अगुवाई में चुनाव लड़ने का फैसला भी पार्टी कर चुकी है, लेकिन केशव मौर्य को भी साथ में आगे रखने का प्लान बनाया है ताकि हिंदुत्व के साथ-साथ ओबीसी को साधा जा सके.

वही सूत्रों की मानें तो बीजेपी सूबे के ओबीसी वोटबैंक को संदेश देने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मौर्य समाज के बाहुल वाली सीट फाफामऊ से चुनाव लड़ाने की भी तैयारी कर रही है… इसी इलाके से पार्टी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य भी आते हैं. फाफामऊ सीट की सीमा स्वामी प्रसाद का गृह क्षेत्र से लगती है. इस तरह से मौर्य समाज के वोटबैंक को सपा में जाने के रोकने का प्लान है. हालांकि, बीजेपी छोड़ रहे ओबीसी नेताओं को रोकने के लिए केशव प्रसाद मौर्य लगातार ट्वीट कर अपील भी कर रहे हैं.

केशव मौर्य के साथ-साथ बीजेपी अपने दूसरे अन्य ओबीसी नेताओं को भी आगे करेगी, जिनमें कुर्मी समाज और लोध समाज के नेता भी शामिल हैं. इसके अलावा अति पिछड़ा समाज के कुछ नेताओं को भी अहमियत देने की रणनीति है. यही वजह है बीजेपी ने अपने सहयोगी अपना दल (एस) को पिछली बार से ज्यादा सीटें इस बार दे रही है और संजय निषाद की पार्टी को भी अच्छी खासी सीटें मिल सकती हैं. इस तरह से दोनों ओबीसी आधार वाले सहयोगी दलों को सियासी अहमियत देकर सूबे के ओबीसी वोटबैंक का साधे रखने का प्लान है.

बीजेपी ने यूपी में घर-घर संपर्क अभियान शुरू कर दिया है. इसके साथ ही पार्टी पिछड़ों और दलितों को लेकर अलग मुहिम छेड़ने जा रही है. बीजेपी अपने सभी दलित और ओबीसी नेताओं और मंत्रियों को मोर्चे पर लगाने का फैसला किया है ताकि सपा के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ा जा सके. इसके अलावा योगी आदित्यनाथ के जरिए हिंदुत्व के वोट को सहेजना का काम होगा. जिसके लिए उन्हें अयोध्या सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही हैं.

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