शांतनु नायडू, जिनकी तस्वीरें रतन टाटा के साथ वायरल हो चुकी हैं, वह एक युवा उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। शांतनु नायडू का नाम रतन टाटा के करीबी सहयोगियों में गिना जाता है और उनके टाटा के साथ जुड़ने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। रतन टाटा जैसे बड़े उद्योगपति के कंधे पर हाथ रखकर तस्वीर खिंचवाना एक साधारण बात नहीं है, और इसने लोगों को यह जानने के लिए उत्सुक कर दिया कि आखिर शांतनु नायडू कौन हैं और कैसे उनकी टाटा से दोस्ती हुई।
कौन हैं शांतनु नायडू?
शांतनु नायडू एक युवा उद्यमी और टाटा ग्रुप में रतन टाटा के सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। वह पेशे से एक इंजीनियर हैं और उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री प्राप्त की है। उनकी सबसे बड़ी पहचान उनके सामाजिक कार्यों से है, खासकर उन अभियानों से जो उन्होंने आवारा कुत्तों की मदद के लिए शुरू किए थे।
रतन टाटा और शांतनु नायडू की मुलाकात कैसे हुई?
शांतनु नायडू और रतन टाटा की मुलाकात का सबसे बड़ा कारण नायडू का आवारा कुत्तों के लिए किया गया काम था। 2014 में, जब शांतनु पुणे में टाटा एल्क्सी में काम कर रहे थे, उन्होंने देखा कि कई कुत्ते सड़क दुर्घटनाओं में घायल हो जाते हैं क्योंकि रात में ड्राइवर उन्हें देख नहीं पाते। इसका समाधान ढूंढने के लिए, उन्होंने एक ‘डॉग कॉलर’ बनाया जो रात में चमकता था, ताकि ड्राइवर उन्हें देख सकें और दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
इस काम की सराहना खुद रतन टाटा ने की, जो खुद भी कुत्तों से बहुत प्यार करते हैं। उन्होंने शांतनु को एक पत्र लिखकर उनके काम की तारीफ की और उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की। यह पहली बार था जब शांतनु और रतन टाटा मिले, और वहीं से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई।
शांतनु नायडू का टाटा से जुड़ाव:
शांतनु की मेहनत और सामाजिक दृष्टिकोण से प्रभावित होकर, रतन टाटा ने उन्हें कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में अपनी एमबीए की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी। इसके बाद जब शांतनु कॉर्नेल से लौटे, तो उन्हें टाटा ग्रुप में रतन टाटा के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। शांतनु रतन टाटा के बहुत करीबी माने जाते हैं और कई अहम फैसलों में उनकी सलाह भी शामिल होती है।
कैसे बने टाटा के दोस्त?
शांतनु नायडू के रतन टाटा के साथ संबंध महज पेशेवर नहीं हैं, बल्कि वे दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए। रतन टाटा के साथ बिताए अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए, शांतनु ने बताया कि टाटा उन्हें एक दोस्त की तरह मानते हैं और उनके साथ सलाह-मशविरा करते हैं। शांतनु का कहना है कि रतन टाटा ने हमेशा उनके विचारों को महत्व दिया और उन्हें एक समान साथी की तरह समझा।
शांतनु का कहना है कि रतन टाटा के साथ काम करना एक सपने के सच होने जैसा है। वह उन्हें एक गुरु और मार्गदर्शक के रूप में मानते हैं और उनसे जीवन और व्यवसाय से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें सीख चुके हैं।
शांतनु नायडू के अन्य कार्य:
रतन टाटा के साथ काम करने के अलावा, शांतनु नायडू एक सामाजिक उद्यमी के रूप में भी सक्रिय हैं। वह “On Your Sparks” नामक एक स्टार्टअप के संस्थापक हैं, जिसका उद्देश्य युवाओं को उनके विचारों को वास्तविकता में बदलने में मदद करना है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से, वह नए उद्यमियों को मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं ताकि वे अपने विचारों को सफल व्यवसायों में बदल सकें।
शांतनु नायडू की कहानी यह बताती है कि अगर आप सच्चे दिल से किसी उद्देश्य के लिए काम करते हैं, तो दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपति भी आपकी काबिलियत को पहचान सकते हैं। रतन टाटा के कंधे पर हाथ रखकर तस्वीर खिंचवाने वाले शांतनु नायडू आज न सिर्फ टाटा ग्रुप के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी हैं, बल्कि एक प्रेरणा भी हैं जो युवा उद्यमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए एक आदर्श बन चुके हैं।