नवरात्रि का त्योहार हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, एक चैत्र (वसंत) और दूसरा शारदीय (शरद ऋतु) नवरात्रि के रूप में। शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि यह देवी दुर्गा की शक्ति, भक्ति और साधना का पर्व है, जिसमें श्रद्धालु माँ दुर्गा की उपासना कर जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।
नवरात्रि 2024 का पहला दिन:
अक्टूबर 2024 में नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है, जिसमें पहला दिन 2 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा। यह दिन “प्रतिपदा” तिथि को माँ शैलपुत्री की पूजा से आरंभ होगा। शैलपुत्री माँ दुर्गा के पहले स्वरूप हैं, जिन्हें पर्वतों की पुत्री माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जो शुभता और पवित्रता का प्रतीक होता है।
नवरात्रि 2024 की तिथियां और देवी स्वरूप:
- 2 अक्टूबर 2024 (बुधवार) – प्रतिपदा (माँ शैलपुत्री पूजा)
- 3 अक्टूबर 2024 (गुरुवार) – द्वितीया (माँ ब्रह्मचारिणी पूजा)
- 4 अक्टूबर 2024 (शुक्रवार) – तृतीया (माँ चंद्रघंटा पूजा)
- 5 अक्टूबर 2024 (शनिवार) – चतुर्थी (माँ कूष्मांडा पूजा)
- 6 अक्टूबर 2024 (रविवार) – पंचमी (माँ स्कंदमाता पूजा)
- 7 अक्टूबर 2024 (सोमवार) – षष्ठी (माँ कात्यायनी पूजा)
- 8 अक्टूबर 2024 (मंगलवार) – सप्तमी (माँ कालरात्रि पूजा)
- 9 अक्टूबर 2024 (बुधवार) – अष्टमी (माँ महागौरी पूजा)
- 10 अक्टूबर 2024 (गुरुवार) – नवमी (माँ सिद्धिदात्री पूजा)
- 11 अक्टूबर 2024 (शुक्रवार) – दशहरा (विजयादशमी)
घटस्थापना का मुहूर्त और पूजा विधि:
घटस्थापना नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे पहले दिन किया जाता है। इसे शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य है ताकि माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। घटस्थापना के लिए पूजा स्थान को शुद्ध और पवित्र करके, वहां एक मिट्टी का घड़ा स्थापित किया जाता है, जिसे जल से भरा जाता है। इसके ऊपर नारियल और आम के पत्तों से सजाकर देवी का आवाहन किया जाता है।
घटस्थापना का मुहूर्त (2 अक्टूबर 2024):
- घटस्थापना का शुभ समय: प्रातः 6:20 से 8:30 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11:50 से 12:40 बजे तक
नोट: घटस्थापना का मुहूर्त प्रतिपदा तिथि के दौरान होता है, इसलिए इस मुहूर्त में ही घटस्थापना करें।
घटस्थापना विधि:
- पूजा स्थान को साफ करके वहां गंगाजल छिड़कें।
- एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके ऊपर कलश (घट) स्थापित करें।
- कलश को जल से भरें और उसमें सुपारी, सिक्का, हल्दी, कुंकुम डालें।
- कलश के ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें।
- दीपक जलाएं और माँ दुर्गा की आराधना करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा विधि:
1. माँ शैलपुत्री (पहला दिन):** पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। वे पर्वतों की देवी हैं और हिमालय की पुत्री हैं। इस दिन भक्त लाल वस्त्र धारण करते हैं और माँ शैलपुत्री की आराधना करते हैं।
2. माँ ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन): दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और संयम की देवी हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को धैर्य और शक्ति मिलती है।
3. माँ चंद्रघंटा (तीसरा दिन): माँ चंद्रघंटा शांति और साहस की प्रतीक हैं। इस दिन उनकी पूजा से जीवन में संतुलन और शांति आती है।
4. माँ कूष्मांडा (चौथा दिन): माँ कूष्मांडा को सृष्टि की रचयिता माना जाता है। उनकी उपासना से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
5. माँ स्कंदमाता (पांचवा दिन): माँ स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं। उनकी पूजा करने से संतान सुख और परिवार में सुख-शांति मिलती है।
6. माँ कात्यायनी (छठा दिन): माँ कात्यायनी की पूजा विवाह और प्रेम संबंधों में सफलता के लिए की जाती है। उनकी आराधना से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
7. माँ कालरात्रि (सातवां दिन): माँ कालरात्रि संकटों को दूर करने वाली देवी हैं। उनकी पूजा से भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
8. माँ महागौरी (आठवां दिन): माँ महागौरी की पूजा से पवित्रता और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से जीवन में शांति और सुख समृद्धि आती है।
9. माँ सिद्धिदात्री (नौवां दिन): माँ सिद्धिदात्री समस्त सिद्धियों की देवी हैं। उनकी पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
व्रत और अनुष्ठान:
नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। व्रत में फलाहार और सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। प्याज, लहसुन और मांसाहार से पूरी तरह बचा जाता है। हर दिन देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है, और घरों में अखंड ज्योति जलाई जाती है, जिसे नौ दिनों तक बुझने नहीं दिया जाता।
व्रत रखने वाले लोग फलाहार के अलावा विशेष व्रत के भोजन का सेवन करते हैं, जिसमें साबूदाना, कुट्टू के आटे की रोटी, और सिंघाड़े के आटे से बने पकवान शामिल होते हैं।
कन्या पूजन और हवन:
अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन और हवन का आयोजन होता है। कन्या पूजन में नौ छोटी कन्याओं को देवी के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है, और उन्हें आदरपूर्वक भोजन कराया जाता है। इस दिन भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार कन्याओं को दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
हवन के दौरान देवी के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और आहुति दी जाती है। यह अनुष्ठान नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर घर और जीवन में सकारात्मकता लाने का कार्य करता है।
नवरात्रि आत्मशुद्धि, भक्ति, और साधना का पर्व है। इस समय भक्तगण माँ दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं और उनकी कृपा से अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने की कामना करते हैं। नवरात्रि के दिनों में पूजा-पाठ, व्रत, और मंत्रोच्चारण करने से मन और शरीर की शुद्धि होती है, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
अक्टूबर 2024 में नवरात्रि का पहला दिन 2 अक्टूबर को पड़ेगा। यह पर्व माँ दुर्गा की उपासना, साधना और श्रद्धा का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान सही मुहूर्त में घटस्थापना करें, माँ दुर्गा की पूजा विधि का पालन करें, और व्रत रखते हुए माँ की कृपा प्राप्त करें।