Women’s Reservation Bill: मोदी सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र का आज (20 सितंबर 2022) तीसरा दिन है। केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की व्यवस्था करने वाले विधेयक पर चर्चा हो रही है। मोदी सरकार द्वारा कल(19 सितंबर 2023) को नए संसद भवन में कार्यवाही के पहले दिन ही ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश किया था। जिस पर आज चर्चा हो रही है। इस बिल पर चर्चा के बीच लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी और अमित शाह के बीच गर्मा गर्मी बहस भी देखने को मिली। इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे कि, ऐसा क्या हुआ कि सोनिया गांधी के भाषण के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी में बहस हो गई।
सोनिया गांधी के भाषण के बाद हुई बहस
बता दें कि, नारी शक्ति वंदन विधेयक पर चर्चा के लिए कांग्रेस की ओर से पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी खड़ी हुई। उन्होंने इस बिल का समर्थन किया। साथ ही कहा कि, कांग्रेस पार्टी बहुत पहले से महिलाओं को संसद तथा विधानसभा में 33% आरक्षण देने के पक्ष में है। कांग्रेस पार्टी ने कई बार इसे लेकर कवायत भी शुरू की थी। सबसे पहले राजीव गांधी ने पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान किया था। इसके अलावा सोनिया गांधी ने भाजपा सरकार पर भी इस बिल को लेकर कई सवाल उठाएं। जब सोनिया गांधी अपनी भाषण खत्म कर बैठी। तो सरकार की तरफ से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे सोनिया गांधी को जवाब देने के लिए खड़े हुए इसके बाद विपक्ष के नेता अभिरंजन चौधरी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बहस शुरू हो गई।
इस वजह से हुई बहस
सोनिया गांधी के सवाल का जवाब देने के लिए भाजपा के फायर ब्रांड नेता और गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे खड़े हुए। लेकिन अधीर रंजन चौधरी का कह रहे थे कि, सोनिया गांधी द्वारा ‘नारी शक्ति वंदन विधायक’ पर चर्चा के बाद उठाए गए सवाल का जवाब सरकार की तरफ से किसी महिला सांसद को देना चाहिए। इसी को लेकर कांग्रेस के बाकी सांसद जोर-जोर से चिल्लाने लगे। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह खड़े हो गए। और कहा कि, ‘मैं अभी रंजन चौधरी से पूछना चाहता हूं कि, क्या केवल महिलाएं ही महिलाओं के लिए बोलेंगे? क्या पुरुष इसके लिए नहीं बोल सकते? आप कैसा समाज बनाना चाहते हैं?
‘….भाइयों को एक कदम आगे रहना चाहिए’
गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि,महिला कल्याण, महिला सरोकारों पर भाइयों को एक कदम आगे रहना चाहिए। यही इस देश की परंपरा है। हर किसी के पास महिलाओं के कल्याण के बारे में सोचने का अधिकार है। और जब हमारी तरफ से निशिकांत जी बोलने के लिए खड़े हुए हैं तो अधीर जी को क्या आपत्ति थी? शायद इसलिए कि उन्हें सबसे पहले बोलने का मौका नहीं मिला। उन्हें थोड़ी जलन हो रही है।