New Parliament Inauguration: भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन रविवार (28 मई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के द्वारा किया गया। बता दें कि, आज सुबह से ही संसद भवन के उद्घाटन समारोह की प्रक्रिया शुरू हो गई। सुबह में पूजा पाठ के बाद तमिलनाडु से आए पंडितों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजदंड के प्रतीक के रूप में (सेंगोल) को सौंपा। जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित किया। इस अवसर पर ₹75 के सिक्के एवं एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया गया। बता दें कि, भारत के नए संसद के उद्घाटन समारोह से कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने दूरी बनाई।
आज हम आपको इस रिपोर्ट के माध्यम से बताएंगे कि भारत की नई संसद कितनी विशाल है। इसमें कितने सांसदों की बैठने की व्यवस्था है। इसे कितने दिनों में तैयार किया गया है। साथ ही इसको बनाने में कितनी लागत आई है। वहीं भारत के लोकतंत्र के मंदिर को कौन सी कंपनी ने बनाया है।
TATA ने इसे बनाया है
बता दें कि, भारत का यह भव्य संसद भवन देश की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी में से एक टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने बनाया है। इसमें भव्य संविधान हॉल, सदस्यों के लिए लाउंज, लाइब्रेरी, कई कमेटी रूम, कैफे, डायनिंग एरिया और पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है। इसका डिजाइन गुजरात की कंपनी एचसीपी ने तैयार किया है। रिपोर्ट की मानें तो नए भवन को बनाने में लगभग 1200 सौ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
जानिए कितने लोगों के बैठने की कैपेसिटी है
अगर नए संसद में बैठने की कैपेसिटी पर बात करें तो, नए भवन के लोकसभा चेंबर में 888 सदस्य और राज्यसभा चेंबर में 384 सदस्य बैठ सकते हैं।दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होने पर लोकसभा कक्ष में 1280 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए भवन की आधारशिला रखी थी और 3 साल से कम समय में यह बनकर तैयार हो गया। 64500 वर्ग मीटर में फैले ये 4 मंजिला इमारत त्रिकोणीय आकार की है।
किस थीम पर इसे डिजाइन किया गया है?
भारत का यह विशाल संसद भवन की थीम की बात करें तो, लोकसभा कक्ष को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर,श वहीं राज्य सभा कक्ष को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है। इस भवन के दीवाल पर देश के महापुरुषों के साथ साथ अखंड भारत का नक्शा का भी चित्र बनाया गया है। वहीं इस इमारत में तीन मुख्य द्वार है। जिसका नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार है। वीवीआईपी, सांसद और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार है।
पुराने संसद से कितना अलग है ये नया भवन
संसद के नए और पुराने भवन की तुलना करें तो पुराना संसद भवन करीब 6 साल के वक्त में बनकर तैयार हुआ था। इसका उद्घाटन 1927 में किया गया था। जबकि नया भवन 3 साल से भी कम समय में बनकर तैयार हुआ है। नई संसद भवन को बनाने के पीछे सरकार का यह तर्क है कि पुराने संसद भवन में बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। वहीं इस भवन में आधुनिक सुविधा ना होने की वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। पुराने संसद भवन के लोक सभा कक्ष में 550 सांसद जबकि राज्य सभा कक्ष में 250 सदस्यों की क्षमता है। जबकि इसके सेंट्रल हॉल में जरूरत के मुताबिक बहुत कम जगह होने के कारण कई बार महत्वपूर्ण बैठकों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। यही वजह रही कि नई भवन बनाने की जरूरत हुई।