Indian Railways Spent 69 lakh to catch Rats: रेलवे स्टेशन और प्लेटफार्म पर चूहों की वजह से आपको भी कभी ना कभी परेशानी जरूर हुई होगी। कुछ समय पहले इसी असुविधा को देखते हुए उत्तर रेलवे ने स्टेशन और प्लेटफार्म पर घूमने वाले चूहों को पकड़ने के लिए टेंडर जारी किया था। हालांकि, एक चूहे को पकड़ने में रेलवे में 41000 तक खर्च कर दिए। अब यह रकम देखकर आपको झटका जरूर लग सकता है।उत्तर रेलवे में कुल पांच मंडल आते हैं और एक चूहे को पकड़ने में सबसे ज्यादा पैसे लखनऊ मंडल ने खर्च किया है। स्टेशन पर घूमने वाले चूहों को पकड़ने के लिए कुल 69 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। हालांकि इसके बाद भी प्लेटफार्म से लेकर वेटिंग रूम तक आपको चूहे अभी भी दिख ही जाते हैं।
एक चूहे को पकड़ने का खर्च 41000 रुपए
उत्तर रेलवे ने 69 लाख रुपए खर्च करके 168 चूहे पकड़ने तो इस हिसाब से एक चूहों को पकड़ने का खर्च 41000 का है। खुद रेलवे ने इसका खुलासा किया है। दरअसल, एक आरटीआई के जवाब में यह डिटेल सौंपी गई है। इसके बाद यह सवाल उठ है रहे हैं कि, आखिर रेलवे में इतनी बड़ी रकम चूहे पकड़ने में लगा दी, उसके बाद भी प्रभावित नतीजा क्यों नहीं मिले? इतना ही नहीं इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद दबे लहजों में भ्रष्टाचार की बात भी कही जा रही है।
‘जानकारी गलत तरीके से पेश की गई’
इंडिया टुडे के एक रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ मंडल में पदस्थ सीनियर डिवीजनल कामर्शियल मैनेजर रेखा शर्मा ने जानकारी को गलत तरीके से पेश करने की बात कही। साथ इस पूरे मामले में सफाई भी दी है।उन्होंने कहा कि, यह जानकारी गलत तरीके से पेश की गई है।
रेलवे अधिकारी ने दी सफाई
रेलवे ने बताया कि लखनऊ मंडल में कीट और चूहों को कंट्रोल करने का काम जिम्मा गोमती नगर स्थित मेसर्स सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के पास है। यह भारत सरकार का उपक्रम है। इसका उद्देश्य कीटों और चूहा को कंट्रोल करना है। इसमें फ्लशिंग, छिड़काव, स्टेबलिंग और रखरखाव करना, रेलवे लाइनों को कॉकरोच और कीटों से बचाना और चूहा को ट्रेन की बोगी में घुसने से रोकना है।