Diwali 2022: दीपावली का त्यौहार भारत सहित दुनिया भर में बड़ी ही धूम धाम से मनाई जाती है। जहाँ श्रीलंका में भी दीप जलाए जाते हैं वहीं पड़ोसी देश नेपाल में भी इस त्यौहार को लोग अलग तरीकों से मनाते हैं। नेपाल में दिवाली के अवसर पर एक अजीबो गरीब रिवाज है। रौशनी के इस त्यौहार पर यहाँ जानवरों की पूजा की जाती है। खास तौर दिवाली के दिन कुत्तों की बहुत इज़्ज़त की जाती है।
भगवन राम के 14 वर्षो बाद अयोध्या वापस आने की खुशी में पुरे अयोध्या में लाखों दीपक जलाकर उनका स्वागत किया गया था। इसके अलावा कई और कथाएं इस दिन को मनाने के पीछे प्रचलित है। प्राचीनकाल काल से आ रही दिवाली की यह परंपरा का पालन नेपाल में भी होता है। यहां भी दीप जलाये जाते हैं।लेकिन इसे दिवाली की जगह तिहार के नाम से जाना जाता है। वहीं तिहार के अगले दिन वहां कुकुर तिहार मनाया जाता है। इस मौके पर देश भर में कुत्तों का खूब आदर सत्कार किया जाता है। उन्हें स्पेशल फील कराया जाता है।
कुत्तों के साथ-साथ कई और जानवरों की होती है पूजा
भारत के पड़ोसी देश नेपाल जहां बहुसंख्यक आबादी हिंदुओं की हैं। वहां पर दिवाली पांच दिनों तक चलती है।इस दौरान अलग अलग जानवरों जैसे – गाय, कुत्ता, कौआ,बैल आदि की पूजा की जाती है। दिवाली के दुसरे दिन कुकुर तिहार पर कुत्तों को सम्मानित किया जाता है। उनकी पूजा की जाती है ,उसे फूलों को माला पहनाई जाती है और तिलक भी लगाया जाता है । इसके अलावा कुत्तों के लिए स्पेशल व्यंजन तैयार किया जाता है। कुत्तों को उस दिन दही खिलाने की भी परंपरा है। साथ ही अंडा दूध खाने को दिया जाता है।
क्यों होती है कुत्तों की पूजा?
नेपाली के लोग ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि उनकी कामना होती है कि कुत्ते हमेशा उनके साथ बने रहें। कुत्ते त्योहार को मनाने वाले ये भी मानते हैं कि, कुत्ते यम देवता के संदेश वाहक होते हैं। कुत्ते मरने के बाद भी अपने मालिक की रक्षा करते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से वहां कुत्ते की पूजा की जाती है।दुनिया भर में जानवरों के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ ये बहुत ही बड़ा संदेश भी है।