Bihar Cast Survey 2023: बिहार के जाति आधारित सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट में पटना हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई हैनालंदा के रहने वाले अखिलेश कुमार ने वकील बरुण सिन्हा के जरिए इस मामले में गुरुवार 3 अगस्त को याचिका दाखिल की। पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना को सही ठहराया था।
मंगलवार (1अगस्त) को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि, यह पूरी तरह से वैध है और राज्य सरकार के पास इसे कराने का अधिकार है। मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने जातीय जनगणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
जानिए हाई कोर्ट ने इस मसले पर क्या कहा था?
जाति आधारित सर्वे का आदेश पिछले साल दिया गया था और इसीलिए इसे इस साल के शुरू में शुरू किया गया था। बेंच ने इस बाबत 7 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उसने अपने 101 पन्नों के फैसले में कहा, “हम पाते हैं कि राज्य का कदम पूरी तरह से वैध है और वह इसे करने में सक्षम है। इसका मकसद लोगों को न्याय के साथ विकास प्रदान करना है।”
हाई कोर्ट से याचिकाकर्ताओं को झटका लगा था
सर्वेक्षण पर अदालत की ओर से रोक लगाने की 3 महीने से भी कम समय बाद आए इस फैसले ने इसे चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं को झटका लगा था। उन्होंने शीर्ष अदालत में आदेश को चुनौती देने की बात कही थी।