What is Inheritance Tax: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार तेज है. सभी राजनीतिक दल एक दुसरे पर निशाना साध रहे हैं.वहीं अभी एक टर्म है Inheritance Tax यानी की विरासत टैक्स जो हिंदुस्तान की राजनीति में भूंचाल ला दिया है। जिसकी चर्चा भारत के लोकसभा चुनाव में छाई हुई है, पीएम मोदी इनहेरिटेंस टैक्स को लेकर कांग्रेस पर जबरदस्त हमले कर रहे हैं. आज भी पीएम मोदी ने इसको लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि क्या है Inheritance Tax यानी की विरासत टैक्स?
दो तरह के टैक्स होते हैं एक एस्टेट टैक्स और दूसरा इनहेरिटेंस टैक्स
क्या होता है विरासत टैक्स?
अमेरिका में ऐसे दो तरह के टैक्स हैं
एस्टेट टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स
हिंदी में, संपत्ति कर और विरासत कर कहा जाता है
दोनों ही मृतकों और उनकी संपत्ति से संबंधित हैं
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग टैक्स लगता है
मृतक की संपत्ति का कुछ हिस्सा उसके वंशज को मिलता है
कुछ हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार के पास चला जाता है
तो वही Estate Tax को डेथ टैक्स भी कहते हैं. किसी की मृत्यु के बाद जो संपत्ति ट्रांसफ़र होती है, उस पर लगाया जाने वाला एक फ़ेडरल टैक्स है. और, ये टैक्स संपत्ति के मालिक पर लगता है, उत्तराधिकारी पर नहीं. 18% से 40% के बीच. मालिक और उत्तराधिकारी/लाभार्थी के रिश्ते के आधार पर तय किया जाता है.Inheritance Tax जिसे संपत्ति मिलती है, उस पर लगाया जाता है. केवल तभी लागू होता है, जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
उदाहरण के तौर पर समझिए
EXAPMLE के तोर पर मान लीजिए कि शाम की मृत्यु हो जाती है और वो अपनी संपत्ति अपने तीन बच्चों के लिए छोड़ देता है. जितना हिस्सा जिस बच्चे के हिस्से आया, उसे उतना टैक्स भरना पड़ेगा. अगर किसी को ज़्यादा विरासत मिलती है, तो उन्हें अपने भाई-बहनों की तुलना में टैक्स भी भरना होगा.अमेरिकी पर विरासत टैक्स लगेगा या नहीं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां रहते हैं, मृतक के साथ आपका रिश्ता क्या है और विरासती संपत्ति का मूल्य कितना है. और ये सिर्फ अमेरिका के छह राज्यों में ही लगाया जाता है. अमेरिका के न्यू जर्सी, पेन्सिल्वेनिया, मैरीलैंड, आयोवा, केंटकी और नेब्रास्का में इस टैक्स को लगाया जाता है…पेंसिलवेनिया का क़ानून उत्तराधिकारियों को अलग-अलग कैटगरी में बांटता है. सब पर अलग-अलग टैक्स लगता है.
भारत में भी था विरासत टैक्स
भारत में 1985 तक विरासत कर लगता था..हालांकि राजीव गांधी की सरकार में इसे खत्म कर दिया गया तब तत्कालीन वित्त मंत्री वी.पी. सिंह ने कहा था कि इस टैक्स को समाज में संतुलन और धन के अंतर को कम करने के लिए लाया गया था. हालांकि ये ऐसा करने में सफल नहीं हुआ.. उनका कहना था कि सरकार इसे नेक इरादे के साथ लेकर आई थी लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में ये सही नहीं है…