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Rahul Gandhi on China: लद्दाख से राहुल गांधी ने किया बड़ा दावा, कहा- चीन ने हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है

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Rahul Gandhi Statement on China: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पिता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर लद्दाख में पैंगोंग झील के तट पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राहुल गांधी ने चीन को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया, जिसके बाद पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मी शुरू हो गई। बता दें कि, राहुल गांधी 18 अगस्त से ही केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दौरे पर हैं। धारा 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राहुल गांधी का लद्दाख का यह पहला दौरा है।


जानिए राहुल गांधी ने कहा कहा?
राहुल गांधी ने आगे कहा कि, लद्दाख के लोगों की बहुत सारी शिकायतें थी। वह उसे दर्जे से खुश नहीं है जो उन्हें दिया गया है। वह प्रतिनिधित्व चाहते हैं और उनके सामने बेरोजगारी की समस्या है। लोग कह रहे हैं कि, राज्य को नौकरशाही द्वारा नहीं चलाया जाना चाहिए, बल्कि राज्य को लोगों की आवाज से चलाया जाना चाहिए। यहां के लोगों का कहना है कि, चीन की सेना इलाके में घुस आई है और उसकी चारगाह की जमीन छीन ली गई है। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक इंच जमीन नहीं ली गई है। सच क्या है आप यहां किसी से भी पूछ सकते हैं।


राहुल गांधी पर बीजेपी ने साधा निशाना
वहीं राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, कांग्रेस बालाकोट, उड़ी हमलों का सबूत मांगती हैं। हम उनसे उम्मीद भी क्या कर सकते हैं? आज जब राहुल गांधी लद्दाख के बारे में बात करते हैं, तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं क्या उन्हें याद होगी है कि 1962 के युद्ध से पहले और बाद में चीन ने हमारी कितनी जमीन पर कब्जा कर लिया था। भाजपा नेता ने आगे कहा, तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में कहा था कि, हम बुनियादी ढांचा खड़ा करके चीन को परेशान नहीं करना चाहते। यह आपका अतीत है।


रक्षा विशेषज्ञ ने राहुल को दी सलाह
वहीं, राहुल गांधी के इस बयान के बाद रक्षा विशेषज्ञ संजय कुलकर्णी ने कहा ऐसे बयान देना गलत है और जब दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही हो तो किसी को भी बयान नहीं देना चाहिए। बातचीत मुख्य रूप से इसलिए चल रही है, क्योंकि डेमचोक और देपसांग दो घर्षण बिंदु हैं। यहीं पर गस्त को प्रतिबंधित किया जा रहा है। लेकिन हम हार गए हैं यह कहना गलत होगा। हालांकि, 1950 के बाद हमने चीन के हाथों लगभग 40000 वर्ग किलोमीटर खो दिया है और हमारा प्रयास है कि हम अपना और क्षेत्र चीन के हाथों न खोएं।

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