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OMG News: इस देश में मोटा होना है जुर्म, 35.4 इंच से ज्यादा कमर का साइज होने पर काम से निकाल देती है कंपनियां!

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Ajab Gajab News: मोटापा कई गंभीर बीमारियों की जड़ है। इस कारण इंसान ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, लीवर, किडनी और शुगर जैसी बीमारियों का शिकार होता है। लेकिन आज हम इन बीमारियों की बात नहीं कर रहे हैं।हम मोटापे से बचने के लिए उपाय भी नहीं बता रहे हैं, बल्कि हम आपको एक फिटनेस पसंद सरकार के बारे में बता रहे हैं। यह एक ऐसा देश है जहां की सरकार ने लोगों को मोटा होने पर बैन लगा दिया है।इस देश के नागरिकों की कमर की नियमित साइज ली जाती है। निर्धारित मानक से अधिक साइज होने पर सरकारी एजेंसियों और कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाता है। इसके साथ ही मोटे कर्मचारियों की काउंसलिंग की जाती है और फिट होने के लिए रिहैब सेंटर तक में डाल दिया जाता है।


जानिए कौन से देश में है ऐसा नियम
हम इस रिपोर्ट में बताएंगे कौन सा देश है जहां कि सरकार फिटनेस को लेकर इतना ज्यादा सचेत है? दरअसल इस देश में कानूनी तौर पर एक पुरुष की कमर की साइज 33.5 इंच और एक महिला की कमर की साइज 35.4 कर दी गई है। इस से अधिक वाले लोगों पर तरह तरह के दबाव डाला जाता है कि मोटापा कम करें। एक और रोचक बात आपको बताता हूं कि यहां के लोग मक्खन, मलाई, घी खाना पसंद नहीं करते।मिठाई भी नहीं के बराबर खाते हैं। इसके बावजूद दुनिया के सबसे स्वस्थ लोगों में गिने जाते हैं। हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे विकसित और अमीर देशों में से एक जापान की।


नागरिकों की ली जाती है कमर की माप
जापान दुनिया का सबसे फिट देश माना जाता है। उसने करीब डेढ़ दशक पहले 2008  में अपनी नागरिकों को फिट बनाने के लिए एक अभियान चलाया था। यह दुनिया में संभवत अपने आप में एक यूनिक अभियान है। साथ ही जापान ने इस यूनिक अभियान को कानूनी जामा भी पहनाया था।इस कानून के तहत कंपनी और स्थानीय सरकारों को नियमित रूप से 40 से 74 साल के अपने नागरिकों की कमर की माप लेनी होती है। इस माप के आधार पर किसी नागरिकों को मोटा पाया जाता है तो उसे डाइट प्लान दिया जाता है।फिर 3 माह बाद उनकी कमर मापी जाती है और इन 3 महीने में भी उनका वजन नहीं घटता है तो उस नागरिक को फिर 6 माह के लिए कोर्स दिया जाता है। 2008 में बने इस कानून में नागरिकों को फिट बनाने में विफल रहने पर कंपनियों और स्थानीय सरकारों पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है। इस अभियान को चलाने वाले जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इससे देश में डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी बीमारियों पर काबू पाया जा सकेगा।

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